सुश्री मोहम्मदी उस देश में मृत्युदंडके खिलाफ वकालत करती हैं, जहाँ अधिकांशतः फाँसी की सज़ा की जाती हैं। कॉलेज के दिनों से ही वह महिलाओं के अधिकारों की प्रबल समर्थक थीं।
जेल में बंद कार्यकर्त्ताओं और उनके परिवारों की सहायता करने के उनके प्रयासों के लिये उन्हें वर्ष 2011 में पहली बार गिरफ्तार किया गया था।
उन्होंने ईरानी जेलों में राजनीतिक कैदियों, विशेषकर महिलाओं पर शासन द्वारा यातना और यौन हिंसा के इस्तेमाल का विरोध किया।
ईरानी हिजाब आंदोलन के दौरान, उन्होंने प्रदर्शनकारियों के लिये जेल से समर्थन व्यक्त किया और अपने साथी कैदियों के बीच एकजुटता कार्यों का आयोजन किया।
मोहम्मदी द्वारा प्राप्त अन्य पुरस्कार हैं:
अलेक्जेंडर लैंगर पुरस्कार 2009
वर्ष 2023 की शुरुआत में यूनेस्को/गिलर्मो कैनो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार और ओलोफ़ पाल्मे पुरस्कार।
उनकी पुस्तक 'व्हाइट टॉर्चर: इंटरव्यूज़ विद ईरानी वूमेन प्रिज़नर्स' ने अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और मानवाधिकार फोरम में रिपोर्ताज़ के लिये एक पुरस्कार भी जीता।